राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा जयपुर में पं. रमेश द्विवेदी को पुरस्कृत किया गया। उन्हे ‘‘जगन्नाथ सम्राट ज्योतिष पुरस्कार’’ से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उसे पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रूपये का चैक, प्रमाणपत्र, मोमेन्टों, श्रीफल, शाल दुशाला आदि से सम्मानित किया । इस अवसर पर शिक्षामंत्री श्री बृजकिशोर शर्मा, पर्यटन मंत्री श्रीमति बीनाकाक भी इस कार्यक्रम में बतौर विशेष अतिथि उपस्थित थी। राज्य सरकार द्वारा ज्योतिष के विषय में दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान है।
रामनिवास बाग, रविन्द्रमंच में आयोजित इस कार्यक्रम में अशोक गहलोत ने ज्योतिष व संस्कृत पर शोध की आवश्यक पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा ज्योतिष वेदों का अंग है, वेद पर नासा में शोध पर चल रही हैंे। परंतु भारत में ऐसी व्यवस्था नहीं होनेे पर ज्योतिष व वेद की उपेक्षा हो रही है। और ऐसे विद्वानों और मनीषीयों के समान से ही हम वेद व संस्कृत की सेवा कर सकते है।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्री बृजकिशोर शर्मा ने पं. रमेश द्विवेदी द्वारा ज्योतिष के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों व कार्यो की भरी भूरि प्रंशसा की ।
इस अवसर पर रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, आयुक्त कालेज शिक्षा श्री सुबीर कुमार भी उपस्थित थे।
राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्षा श्रीमती सुषमा सिंघवी ने बताया कि पं. जगन्नाथ सवाई जयसिंह जी के राज ज्योतिषी थे, उन्होने ही जयपुर में जंतर मंतर की स्थापना की थी। पं. रमेश भोजराज द्विवेदी भारत के ऐसे पहले ज्योतिषी हैं, जिन्हे लिमका बुक ऑफ रिकार्डस में सम्मिलित किया गया हैं, और अभी हॉल ही में उन्हे महाराणा मेवाड़ फाऊण्डेशन ने हारित राशि सम्मान से उदयपुर में सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि पं. भोजराज द्विवेदी को यह पुरस्कार वर्ष 2001 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री डॉ. कमला द्वारा प्रदान किया गया था, और ग्यारह वर्ष बाद यह पुरस्कार उनके पुत्र पं. रमेंश भोजराज द्विवेदी राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा प्रदान किया , वास्तव में यह ऐतिहासिक क्षण है। इस अवसर पर पं. रमेश द्विवेदी ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का विषय हैं,कि जो सम्मान मेरे पिताश्री को प्राप्त हुआ था आज उनके पदचिन्हों पर चलकर मुझे भी वह मुकाम हासिल कर प्रसन्नता महसूस हो रही है।