कमर्शियल वास्तु
” कमर्शियल वास्तु”, व्यापारिक वास्तुकला को लेकर लिखी गयी पहली पुस्तक है, जिसमे व्यावसायिक भूखंड, होटल, दुकान, फैक्ट्री, आंतरिक सज-सज्जा, भवन-स्थापत्य कला पर विस्तृत चिंतन किया गया है | नई फैक्ट्री का प्रवेश द्वार किधर हो तथा फैक्ट्री में जल स्थान(water -tank ) कहां, किधर होना चाहिए, फैक्ट्री में अग्नि स्थान(fire – spot) कहां हो, शयन कक्ष किस दिशा में होना चाहिए ताकि शयनकर्ता को भरपूर नींद आ सके | व्यावसायिक भूखंड की आकृति कैसी होनी चाहिए | भू परिक्षण के क्या- क्या शास्त्रीय विधान है, सही वास्तु के मुहूर्त कैसे देखे जाते है, वास्तु प्रतिष्ठा में क्या सामग्री चाहिए इन सभी पहलुओ पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति विद्वान् लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी ने व्यावहारिक चित्रों के साथ पुस्तक को बहुत ही सुंदर एवं सरल ढंग से संवारा-संजोया है |
एक व्यापारी या उद्योगपति को व्यावसायिक प्लाट खरीदते समय भूखंड की आकृति आजू- बाजू के रास्ते, फैक्ट्री मजदूरों के क्वाटर, तैयार माल, गोदाम, कबाड़ा रखने की जगह कहां हों, इसके साथ ही विद्वान् एवम यशस्वी लेखक ने अपनी विदेश यात्रा के अनुभव,चीनी मान्यताओ एवम फेंगशुई के तात्विक विवेचन के बारे में प्रकाश डाला है | इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता बिना तोड़-फोड़ के वास्तु निराकरण हेतु सोलह प्रकार के गणपतियो का जो विधान दिया है, वह शास्त्रीय होने के साथ-साथ तक सम्मत एवम व्यावहारिक है | हम निश्चय से इतना कह सकते है कि यह पुस्तक आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी |