अंगूठा चैतन्य शक्ति का प्रधान केंद्र है इसका सीधा सम्बन्ध मस्तिक से होता है I फलत: अंगूठा इच्छा शक्ति का केंद्र माना जाता है I यह व्यक्तितव काप्रतिनिधित्व करता है I हाथ की रेखाओ का जितना महत्व होता है, उससे ज्यादा महत्व अंगूठे का माना गया है I अंगूठा प्राण – शक्ति का घोतक है I
अंगूठा अंगुलियों का राजा कहलाता है I किसी भी वास्तु की पकड़ अंगूठे के बिना संभव नहीं है I मस्तिक का सीधा सम्बन्ध अँगूठे की कोशिकाओं तक होने सेमस्तिष्क व्, मस्तिष्क के भावो का स्पष्ट अंकन अँगूठे के द्वारा ही सम्भव है I यही कारण है की कुछ वैज्ञानिक हस्ताक्षर द्वारा मनुष्य की प्रकृति का अनुमानलगाते है I
अंगूठा तर्क, ज्ञान एवं विवेक शक्ति का घोतक है , इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं I अँगूठे पर बारीक रेखाओ के द्वारा कुछ चिन्ह व् आकृतियॉ बनी होती है जिनकेनिरूपण से यह सिद्ध होता है कि विश्व में प्रत्येक प्राणी क़ी प्रवर्तियाँ, उसकी चेष्टाएँ, उसकी विचार शक्ति से भिन्न – भिन्न होती है I
केवल अँगूठे के द्वारा जानी जा सकने वाली कुछ प्रमुख बाते :
प्रेम, तर्कशक्ति, विवेक, जीवन का विस्तार, आयु, भाग्योदय, भागयास्त, भविष्य, रोग, आत्मबल, व्यक्ति क़ी परीक्षा, गुप्तेन्द्रिय का अकार – प्रकार, प्राण शक्ति,इच्छा शक्ति, प्राणवायु क़ी गति, जन्म समय इत्यादि विषयो का विशद वर्णन इस विचित्र ग्रन्थ में प्रस्तुत है I