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भोजसंहिता, राहु खण्ड- By Pt. Ramesh Bhojraj Dwivedi
भोजसंहिता आधुनिक युग में ज्योतिष क्षेत्र में फलादेश विभाग को लेकर लिखा गया एक बृहद् शोधकार्य है। भोजसंहिता नामक यह अनुपम, अद्वितीय व अलौकिक ग्रन्थ कुल 11 खण्डों में विभाजित है। प्रत्येक ग्रह को लेकर एक खण्ड लिखा गया, इसके पश्चात् ग्रहण खण्ड व कुण्डली खण्ड पर लिखा गया साहित्य भी भोजसंहिता में समाहित है। बारह लग्न एवं बारह भावों को लेकर कुल 144 प्रकार की जन्मकुण्डलियां केवल एक ग्रह की शुभाशुभ स्थिति को स्पष्ट मूल्यांकन हेतु बनती है। इसमें एक अन्य ग्रह को साथ लेकर उसकी युति पर चर्चा भी की गई है। फलतः 144ग9 गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार के फलादेश की चर्चा मात्र एक ग्रह की पुस्तक में देखने का अवसर प्रबुद्ध पाठकों को पहली बार प्राप्त होगा। निश्चय ही यह बृहद् स्तरीय शोध कार्य है। जिसका ज्योतिष की दुनियां में नितान्त अभाव था। फलादेश की दुनियां में नौ ग्रहों के नौ खण्डों में विभक्त ये पुस्तकें मील का पत्थर साबित होगी। शनि खण्ड, मंगल खण्ड, राहु खण्ड व केतु खण्ड प्रकाशित हो चुके है। जिनका व्यापक स्वागत ज्योतिष जगत में हुआ है।
भोजसंहिता राहुखण्ड मुख्य रूप से चार भागों में विभक्त है- 1. जिज्ञासा खण्ड 2. संहिता खण्ड 3. जातक खण्ड 4. उपचार खण्ड। वैसे तो पुस्तक से सभी भाग अत्यन्त रोचक एवं महत्वपूर्ण है। परन्तु उपचार खण्ड विशेष रूप से प्रशंसनीय है। वह डॉक्टर क्या काम का जो बीमारी के लक्षण तो बता देता है पर उपचार नहीं बताता। उपचार खण्ड ज्योतिष विज्ञान एवं पौरोहित्य कर्म की सार्थकता एवं व्यावहारिक पक्ष को उजागर करता है। इस पुस्तक के अन्त में वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक-मांत्रिक चिकित्सा, रत्न चिकित्सा, व्रत-उपवास तथा विविध प्रकार की प्रार्थनाओं को उद्धृत किया गया है। जिसका लाभ आस्तिक विचारों वाले, सकारात्मक सोच वाले विश्व के सभी धर्मानुरागी सहज में प्राप्त कर सकेंगे। निश्चय ही अकेले राहु को लेकर लिखी गई, इतनी व्यापक सामग्री प्रबुद्ध पाठकगण पहली बार देख पायेंगे। यह पुस्तक आम व खास पाठकों के लिए अमृत तुल्य उपादेय एवं संग्रहणीय है।