राजयोग प्रदाता- सूर्य यंत्र
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Description
माणिक्यं पद्रागं, कुकविन्दं च लोहितम्।
रूबीरत्नं र वेः रत्नं, याकृत च तुदच्यते ।।
विविध नाम-संस्कृत में माणिक्य,पद्मराग, लोहित, शोणरत्नं, रविरत्न, शोणोपल, कुकविन्द, सौगन्धिक,वसुरत्न। हिन्दी रूगल,माणिक, सूर्यकांतमणि अंग्रजी में ( रूबी) उर्दु-फारसी में याकूत व सुर्ख कहा जाता है।
यह माणिक्य हलका लाल या गुलाबी रंग का होता है। कबुतर की आंख या दाड़िम(अनार) के दाने के समान इसका रंग उत्तम माना गया है।
ज्योतिषीय मूल्याकंन
माणिक ग्रहराज सूर्य का रत्न हैं इसे सूर्य मणि या सूर्यकांतमणि भी कहते है। जिस प्रकार से सूर्य ग्रहों का राजा है। ठीक उसी प्रकार नवरत्नों का राजा भी माणिक्य ही है। नवरत्न चारों ओर लगाये जाते है। सिंह राशि में जन्में लोगों का राशि-राशिरत्न माणिक्य है।
माणिक्य दिननायकस्य
-जातक पारिजात
मेष लग्न में जन्में जातक माणिक्य युक्त सूर्य यंत्र को पहनते है तो उनके संतान व विद्या में तरक्की होती है। सिंह लग्न वाले इसे अवश्य ही धारण करते है। क्योंकि माणिक उनकी जीवन शक्ति एंव आयुष्य को बढ़ाता है। धनु लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए यह परमयोग कारक है। क्योंकि यह उनके भाग्य के द्वार को खोलता हैं
विदेशी मान्यता के अनुसार जुलाई माह में जन्म लेने वाले व्यक्ति को इसे अवश्य पहनता चाहिए। वैसे रविवार को जन्म लेने वाले जातक के लिए भी माणिक युक्त सूर्य यंत्र पहनना लाभप्रद है।