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मुक्ता मुक्ताफलचैव, शुक्तिजं मौक्तिकं हितम्।
पर्लारव्यच मरवारिद् शशिरत्नं शशिप्रियम्।।
मोती को संस्कृत में मुक्ता, मुक्तापफल, शुक्तिज, मौक्तिक, शशिरत्न,
चन्द्ररत्न और शशिप्रिय कहते हैं। अंग्रेजी में Pearl उर्दू में – पफारसी में – मुखारिद, लेटिन में मार्गारिटा कहते हैं।
रंग Colour – मोती शु( चमकीले श्वेत रंग का होता है। बछरे की खाड़ी का मोती सबसे महंगा होता है। उसमें इन्द्रध्नुष वेफ सात रंगों की झलक दिखाई देती है।
ज्योतिषीय मूल्यांकन
मोती नक्षत्रराज चन्द्रमा का रत्न है। जिस प्रकार सूर्य ग्रहों का राजा है, ठीक उसी प्रकार से चन्द्रमा नक्षत्रों का राजा है। चन्द्रमा एक स्त्राी-ग्रह है, इसलिए कई जगह इसे ‘रानी’ भी कहा गया है। ‘जातक पारिजात’, अ 1 श्लोक 21 के अनुसार – ‘विमलं मुक्तापफलं शीतगोः’ चन्द्रमा का रत्न स्वच्छ मोती है। जिस प्रकार चन्द्रमा शीतल रश्मियों को प्रदान करता है, ठीक उसी प्रकार मोती जातक को मानसिक शान्ति, शीतलता व संतोष देता है। शास्त्रों के अनुसार चन्द्रमा माता के समान बालारिष्ट में जन्मे बालकों के आयु की रक्षा करता है। चन्द्रमा शुभ व सौम्य ग्रह है। इसका रत्न मोती भी शुभ व सौम्य है, यह कभी विपरीत फल नहीं देता। कर्क राशि एवं कर्क ‘लग्न’ में जन्म लेने वाले जातक मोती अवश्य पहनते हैं। इन लोगों को मोती पहनना इनकी आयु एवं उन्नति के लिए बहुत शुभ है। ‘वृश्चिक लग्न’ में जन्मे लोग यदि मोती पहनें तो इनका भाग्योदय फटाफट हो जाता है। मकर लग्न वाले वैवाहिक सुख के लिए मोती पहनते हैं। जबकि ‘मीन लग्न’ वालों को विद्या एवं सन्तान के लिए मोती पहनाया जाता हैं
विदेशी मान्यताओं के अनुसार जून माह में जन्म लेने वाले व्यक्ति मोती अवश्य धरण करते हैं। न्यूमरोलाॅजी के हिसाब से जिनका जन्म किसी भी माह के 2, 11, 20, या 29 तारीख का होता है, उनका मूलांक 2 होता है। दो मूलांक का स्वामी चन्द्रमा होने के कारण इन लोगों को मोती पहनना बहुत ही शुभफलदायक होता है। स्त्रिायां मोती पहनने की बहुत शौकीन होती हैं। पर ज्योतिष की दृष्टि से जो मोती बिन्द (छेद करद) दिया जाता है, उसका कोई महत्त्व नहीं होता, स्वतः ज्योतिष वर्ग यजमान को ‘अणबिन्दा’ मोती पहनने की सलाह देते हैं।
यह मोती 250 रूपये रत्ती के अनुसार वजन पर आता है अज्ञात दर्शन के पाठको के लिए यह रियाययती मूल्य 200 रूपये रत्ती में उपलब्ध करवाया जा रहा है।