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पुखराज Yellow Sapphire यह रत्न पीला, सफेद
तथा केसरिया रंग में प्राप्त है, इसका नाम पुष्पराग भी है। यह बृहस्पति का रत्न
है।
ज्योतिषीय मूल्यांकन (Astrological Value)
जातक पारिजात वेफ अनुसार – ‘देवेज्यस्य च पुष्परागम्’, देवगुरु
बृहस्पति का रत्न पुष्पराग है। पुखराज पांच महारत्नों में प्रमुख है। जैसे
देवगुरु बृहस्पति सदैव शुभकर्मों में प्रवृत्त रहते हैं और सभी का भला
चाहते हैं, वैसे ही पुखराज रत्न प्रामात्रा को शुभकर्म करने के लिए प्रेरित
करता हुआ सबका कल्याण, मंगल करने वाला रत्न है। जैसे शक्कर चाहे
पानी में डालो चाहे दूध में वह उसे मिष्ठान्न में बदल देती है, ठीक
वैसे ही पुखराज अपने धारक को धार्मिक मंगल कार्य करने हेतु बाध्य
करता है। यह रत्न बिछड़े हुए प्रेमी को मिलाता है तथा प्रेमसूत्रा में बंध्े
हुए युगल का वैवाहिक जीवन माधुर्य से भर देता है। पुखराज सन्तति
देता है खसकर पुत्रा सन्तति दिलाने में इसका बड़ा भारी योगदान रहता
है। इसलिए यह सब रत्नों में परम पवित्र रत्न माना गया है।
धनु एवं मीन राशि में जन्मे लोगों का यह राशिरत्न है। वैसे ही धनु
लग्न एवं मीन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति वेफ लिए, यह रत्न उनकी
आयु को बढ़ाता है। मिथुन लग्न एवं कन्या लग्न वालों का सप्तमेश होने
के कारण, इसे धारण करने पर उनका विवाह शीघ्र योग्य एवं मनोवांछित
जीवनसाथी वेफ साथ हो जाता है। सिंह लग्न एवं वृश्चिक लग्न वालों
का पंचमेश होने के कारण यह उन्हें पुत्र सन्तति देता है। मेष व कर्क
लग्न वालों के लिए यह भाग्य के द्वार खोलता है। वस्तुतः पुखराज एक
बहुउद्देशीय रत्न है। यह धन, विद्या, सन्तति, पुत्रा, विवाह एवं भाग्य सभी
सुखों को देता है। यह आपके ज्योतिषी पर निर्भर करता है कि वह किस
उद्देश्य (संकल्प) के लिए, कितनी मात्रा (वजन) में कौन-से मुहूर्त एवं
किस विधि (मन्त्र-ताप) से आपको पुखराज पहनाता है।
पुखराज की अंगूठी
पति-पत्नी में न बनती हो, दाम्पत्य सुख में बाध हो, तो पुखराज
अवश्य पहनें। सवा पांच रत्ती का पीला रंग का पुखराज गुरुवार के दिन
अभिमंत्रित करके पहनना चाहिए। पुखराज न खरीद सके तो सुनैला से
काम लें। पुखराज जितना पीला होगा, दाम्पत्य जीवन में उतनी मिठास
आएगी। विकृत विवाह रेखा वालों को तो अवश्य ही इसे धारण करना
चाहिए। पुखराज पुत्र सन्तति भी देता है तथा बुद्धि को भी धर्मिक
बनाता है।